Navanita

Add To collaction

कुछ मजबूरियाँ

           कुछ मजबूरियाँ


कुछ  मजबूरियाँ  ना होती तो शायद ये दूरियाँ ना होती,
कुछ दूर रहने के हमसे बहाने ना बनते,
दिल में मेरे तेरे ठिकाने ना बनते |
कुछ तेरे मेरे अफसाने ना बनते ,
आखिर कब तक मजबूरियों के साथ जीये हम,
बेगाने को कब तक अपना कहे हम |
कब तक ये दूरियाँ सहे हम ,
कुछ मजबूरियाँ ना होती तो शायद ये दूरियाँ ना होती |

   4
0 Comments