कुछ मजबूरियाँ
कुछ मजबूरियाँ
कुछ मजबूरियाँ ना होती तो शायद ये दूरियाँ ना होती,
कुछ दूर रहने के हमसे बहाने ना बनते,
दिल में मेरे तेरे ठिकाने ना बनते |
कुछ तेरे मेरे अफसाने ना बनते ,
आखिर कब तक मजबूरियों के साथ जीये हम,
बेगाने को कब तक अपना कहे हम |
कब तक ये दूरियाँ सहे हम ,
कुछ मजबूरियाँ ना होती तो शायद ये दूरियाँ ना होती |